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धारा 4 : प्रभार खंड
वित्त अधिनियम द्वारा निर्धारित दरों पर आय पर कर लगाया जाएगा, बशर्ते यह धारा 5 के तहत कुल आय के अंतर्गत आता हो और धारा 10 के तहत इसे छूट नहीं मिली हो.
धारा 5 : कुल आय का विस्तार
कर व्यक्ति की आवासीय स्थिति और आय के उद्गम एवं प्राप्ति स्थान पर निर्भर करता है.
धारा 6 : आवासीय स्थिति
इस विकल्प के तहत, एनआरआई, कराधान की विशेष दरों पर निर्दिष्ट आस्तियों से प्राप्त आय एवं आयकर अधिनियम, 1961 के सामान्य प्रावधानों के तहत अन्य सभी आय को प्रस्तावित कर सकते हैं.
विशेष दरों पर कर प्रभार योग्य आय को अलग ब्लॉक के रूप में निर्धारित किया जाता है.
एनआरआई निम्नलिखित का दावा करने के लिए पात्र नहीं हैं
प्रवर्तमान/प्रचलित स्लैब दरों के अनुरूप, विनिर्दिष्ट आस्तियों से प्राप्त आय के अलावा सभी आय कराधान हेतु प्रस्तावित की जा सकती है.
यहां, एनआरआई को ब्याज, पूंजी लाभ, किराया आय एवं अन्य किसी आय की घोषणा करनी होगी एवं खर्च, भत्ते, पिछले वर्ष हुई हानि हेतु कटौती एवं वित्तीय वर्ष 2013-14 रु. 200000 की मूल रियायत का दावा भी कर सकता है.
कुल कर देयता में (I) और (II) के तहत आनेवाले कर को शामिल किया जाएगा.
अगर कोई व्यक्ति विशेष जो आयकर अधिनियम की धारा 6 की निम्नलिखित दोनों शर्तों को पूरी करता है तो वह अनिवासी हो जाता है
निम्नलिखित मामलों में, भारत का निवासी होने के लिए शर्त 2 के अनुसार जिस तरह भारत में 60 दिनों का निवास आवश्यक था अब उसे बढ़ा कर 182 दिनों के लिए कर दिया गया है
दूसरे शब्दों में, ऊपर्युक्त श्रेणी के व्यक्ति यदि सिर्फ शर्त 1 पूरी करते हों तो अनिवासी होंगे.
कोई अनिवासी जो अच्छे के लिए भारत वापस लौट आया हो, उसे आयकर नियम के सेक्शन 6(6) के प्रावधान के तहत कवर किया जाएगा. यदि वह निम्नलिखित में से कोई भी एक शर्त पूरी करता हो तो उसे निवासी लेकिन सामान्य रुप से निवासी नहीं का विशेष दर्जा दिया जाएगा
नोट: जो व्यक्ति भारत के बाहर 9 साल रहने के बाद भारत वापस लौट रहा हो (और जो आयकर नियम 1961 के तहत हर 9 वर्षों के लिए अनिवासी रहा हो), वह केवल दो वर्षों के लिए निवासी लेकिन सामान्य रुप से निवासी नहीं रहेगा.
निम्नलिखित मामलों में भारत का निवासी माना जाएगा, जैसा शर्त-2 में अपेक्षित है, भारत में 60 दिनों तक निवास की अनिवार्यता को बढ़ाकर 182 दिन कर दिया गया है. :
करयोग्य शब्द से तात्पर्य पूर्ववर्ती वर्ष से है अर्थात वह अवधि जो 1 अप्रैल से शुरू और 31 मार्च तक हेागी जिस दौरान व्यक्ति द्वारा वास्तव में आय अर्जित की गई हो. इस अवधि में भारत में रहने/ठहरने के दिनों की संख्या की गणना भी की जाएगी.
भारत में आगमन का दिन एवं भारत से प्रस्थान का दिन भारत में प्रत्येक 1 दिन माना जाएगा (अर्थात् भारत में 2 दिन रहना). सामान्यतः/ पासपोर्ट पर स्टांपित तारीख को भारत में आने या प्रस्थान के साक्ष्य के रूप में माना जाता है. भारत में ठहरने की गणना व्यक्ति के भौतिक रूप से ठहरने के आधार पर की जाएगी.
रोजगार हेतु भारत से प्रस्थान के पहले वर्ष में किसी को 28 सितंबर से पूर्व प्रस्थान करना चाहिए जिससे कि उस वित्त वर्ष के लिए वो व्यक्ति एनआरआई माना जाए. अन्यथा उसकी कुल आय (विदेशों से आय सहित) भारत में करयोग्य हेागी.
एक एनआरआई को जो भारत लौट रहा है उसे 1 फरवरी या उससे पहले लौटना चाहिए (लीप वर्ष में 2 फरवरी) जिससे वह अपनी एनआरआई की स्थिति बनाए रख सके.
हालांकि, यदि पिछले चार वर्षों में भारत में आपका प्रवास 365 दिनों से अधिक नहीं रहा है तो आप 2 अक्तूबर के बाद लौट सकते हैं (अथवा लीप वर्ष में 3 अक्तूबर)
दोनों मामलों में आप उस वित्तीय वर्ष (अर्थात् अप्रैल-मार्च) के लिए एनआरआई रहेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत से बाहर आपकी आय भारत में उस वित्तीय वर्ष के लिए करयोग्य नहीं होगी.
यदि डीटीएए लाभ की अनुमति नहीं है तो एनआरओ एफडी पर हासिल ब्याज 30.90% की दर से स्त्रोत पर कर कटौती के अध्यधीन है. अलग-अलग देशों में ब्याज पर अलग-अलग लाभदायी कर दरें लागू हैं, जो कि सामान्यतः 10% से 15% के दायरे में है.
वित्तीय अधिनियम 2013 के अनुसार कोई व्यक्ति डीटीएए के तहत तब तक किसी लाभ के दावे के लिए पात्र नहीं होगा जब तक वह कटौतीकर्ता को टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट प्रस्तुत (TRC) नहीं करता. साथ ही, यह अधिनियम यह भी विनिर्दिष्ट करता है कि डीटीएए (अर्थात फार्म नं. 10 एफ में घोषणा) का लाभ हासिल करने के लिए व्यक्ति को टीआरसी के अलावा केंद्र सरकार द्वारा वर्णित अन्य दस्तावेज एवं सूचनाएं भी देनी होंगी.
अनिवासियों की निम्नलिखित प्रकार की आय आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत कर से कर मुक्त होगी
संपदा कर अधिनियम,1957 की धारा 6 के अनुरूप भारत में संपदा की करदेयता आवासीय स्थिति और नागरिकता पर आधारित है.
भारतीय मूल का व्यक्ति (या भारत का नागरिक) जो साधारणतया विदेश में रह रहा हो और जो उस देश को छोड़कर भारत में स्थायी रूप से रहने के इरादे से भारत वापस आया हो, ऐसे व्यक्ति के भारत लौटने की तिथि के अगले निर्धारण वर्ष से 2 क्रमिक निर्धारण वर्षों हेतु निम्नलिखित परिसंपत्तियों पर छूट मिलेगी.
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार भारत में व्यक्ति की आय कर देयता उसकी आवासीय स्थिति पर आधारित होता है जो निम्नलिखित रूप से दर्शाया गया है: आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनिवासियों को निम्नलिखित आय पर कर की छूट दी गई है
एक व्यक्ति जो अनिवासी है
एक व्यक्ति जो निवासी है किन्तु साधारणत: निवासी (आरएनओआर) नहीं है
एक व्यक्ति जो निवासी है और साधारणत: भारतीय निवासी (आरएनओआर) है, वह अपनी वैश्विक आय पर भारत में कर का भुगतान करने हेतु उत्तरदायी है.
अनिवासी भारतीयों को, यदि भारत में उनकी कर योग्य आय लागू वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में उनकी मूल छूट सीमा (वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए रु. 2,00,000/- से अधिक होती है, आय कर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है.
*निम्नलिखित वर्णित आय अर्जित करने वाले एनआरआई को उनकी कुल आय के मूल छूट सीमा से कम होने पर भी भारत में आयकर रिटर्न भरना होगा.
अनिवासी भारतीय को आयकर दाखिल करना आवश्यक नहीं हैं यदि
इसलिए यदि अनिवासी भारतीय के पास केवल निवेश आय है या दीर्घावधिक पूंजीगत लाभ या दोनों (ऊपर वर्णित विवरण के अनुसार अर्थात केवल विदेशी विनिमय आस्तियों से प्राप्त) है और साथ ही ऐसी आय के स्त्रोत पर कर की कटौती की गई है तो उसे लागू वित्तीय वर्ष के लिए आय कर रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं है.
हालांकि, अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में आय कर रिटर्न भरने की सलाह दी जाती है क्योंकि अनिवासी भारतीयों के लिए स्त्रोत पर कर कटौती आय कर अधिनियम के तहत अधिकतम दरों पर विनिर्दिष्ट है. तथापि, अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वर्ष के लिए गणना की गई वास्तविक कर देयता सामान्यतः कम होती है.
आय-कर अधिनियम 1961 के तहत अचल संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त लाभ पर निम्नानुसार कर लगाया जाता है
पूंजीगत लाभ को दीर्घ-अवधि पूंजी लाभ और अल्प-अवधि पूंजी लाभ के रूप में अलग-अलग बांटा गया है
* लागू ‘शिक्षा उपकर’ (2%) और ‘माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर (1%) को जोड़कर
पूंजीगत लाभ को निम्नलिखित तरीके से जोड़ा जाएगा.
एनआरआई दीर्घ अवधि पूंजी लाभ/शुद्ध बिक्री प्रतिफल को निश्चित विशेष आस्तियों में पुनर्निवेश करने पर कर में छूट का दावा करने के हकदार होंगे.
धारा 194 आईए, एक नई धारा जोड़ी गयी है, जिसमें भारत में किसी निवासी विक्रेता/बिल्डर को ग्रामीण कृषि योग्य भूमि के अतिरिक्त किसी भी अचल संपत्ति को खरीदने के प्रतिफल का भुगतान करते समय एक व्यक्ति को 1% की दर से स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) का आदेश दिया जाता है.
50 लाख रुपए से अधिक के लेन-देनों के संबंध में उक्त प्रावधान लागू होगा. अल्पविकसित प्लाट या बिल्डर से निर्माणाधीन अपार्टमेंट/विला इत्यादि की खरीद एवं किसी राशि के भुगतान के संबंध में ये प्रावधान चिंता के विषय बन गए हैं.
ये संशोधन 1 जून, 2013 से प्रभावी कर दिए गए हैं.
पुनः यदि बिल्डर खरीददार को स्थायी खाता संख्या (पैन) उपलब्ध नहीं कराता है तो खरीददार उच्च दर अर्थात् 20% की दर से टीडीएस काटेगा.
कर छूट प्रमाणपत्र आयकर अधिनियम 1961 के भाग 195 (2), 195 (2), 195 (3) अथवा 197 के प्रावधानों के अंतर्गत मूल्यांकन अधिकारी द्वारा जारी आदेश है.
एनआरआई की आय के लिए टीडीएस की निर्धारित दर कर की वह अधिकतम दर है जिसपर संबद्ध आय भारत में करयोग्य है. यद्यपि एनआरआई के अधिकांश मामलों में वास्तविक कर देनदारी इससे कम है. साथ ही कर की अधिकतम कटौती सामान्यतः आयकर रिटर्न फाईल कर रिफंड के रूप में क्लेम नहीं की जाती है. ऐसी स्थिति में सहयोग हेतु आयकर अधिनियम की धारा 197 के अंतर्गत यह प्रक्रिया उपलब्ध है जिसके द्वारा एनआरआई आय के भुगतानकर्ता (जो निर्धारित उच्चतम दर पर कर कटौती करता है) को न्यूनतम दर अथवा शून्य दर पर कर कटौती जैसा भी मामला हो, हेतु प्राधिकृत करने के लिए कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष विशेष प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन कर सकता है. ऐसा प्रमाण पत्र भुगतानकर्ता के लिए आवश्यक/बाध्य होगा एवं वह कर निर्धारण अधिकारी के प्रमाणपत्र के अनुसार कर कटौती करेगा.
अतः जब भी आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार व्यक्ति की वास्तविक देनदारी टीडीएस से कम होगी वह कर छूट प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकता है.
स्थायी खाता संख्या (पैन) प्रत्येक निर्धारिती (जैसे – व्यक्ति, फर्म, कंपनी आदि) को आयकर विभाग द्वारा जारी एक दस अंकों का अक्षरांकीय अभिज्ञापक है. स्थायी खाता संख्या भारत में वित्तीय बाजारों में ट्रांजेक्शन करने के लिए अनिवार्य है.
पैन आयकर विभाग को सभी ‘व्यक्ति’ के ट्रांजेक्शन्स को विभाग से जोड़ने में का माध्यम है. एक व्यक्ति को भारत में विविध ट्रांजेक्शन करने के लिए पैन नंबर का संदर्भ देना होता है, उदाहरण के लिए एनआरओ बैंक खाता खोलने के लिए, शेयर में निवेश, म्यूचुअल फंड, आय कर रिटर्न फाइल करने, संपत्ति खरीद, वाहन खरीद, बैंक एफडी में निवेश.
यद्यपि आयकर अधिनियम, 1961 के नियमों के अनुसार, अनिवासियों के लिए पैन अनिवार्य नहीं है. परंतु आयकर विभाग, रजिस्ट्रार को सूचना देने के लिए एवं अन्य पक्षों जो अनिवासियों को भुगतान करते हैं जिनपर भुगतानकर्ता कर कटौती करने के लिए बाध्य है, को इसकी आवश्यकता होती है.
साथ ही, धारा 206एए के लागू होते है ( 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी)
यदि किसी व्यक्ति के पास पैन कार्ड नहीं है, जिस दर पर कर कटौती होगी वह उच्चतम होगी:
उपरोक्त के मद्देनजर अनिवासियों को सलाह है कि अपना पैन कार्ड बनवाएं.