मृतक जमाकर्ता के दावे निपटान की परिचालन प्रक्रिया और सेफ डिपॉजिट लॉकर/सेफ कस्टडी में रखी वस्तुओं की वापसी
अध्याय -1- प्रारंभिक सीमा तक
क्र. सं. |
विषय |
पृष्ठ सं. |
भाग - 1 |
परिचय |
2 |
भाग - 2 |
नामांकन सुविधा/उत्तरजीविता अधिदेश के लाभ पर ग्राहक को मार्गदर्शन |
4 |
भाग - 3 |
विभिन्न प्रकार के खातों/सुविधाओं के दावों का निपटान |
6 |
भाग - 4 |
गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान |
13 |
भाग - 5 |
मृतक जमाकर्ताओं के खाते में दावों के निपटान के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण |
15 |
अध्याय -2- प्रारंभिक सीमा 21 से अधिक
भाग -6 अनुबंध
क्र. सं. |
विषय |
पृष्ठ सं. |
ए-1 |
6.1 नामांकन नियमों में प्रावधानों के संबंध में स्पष्टीकरण |
25 |
6.2 मृतक/गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों के निपटान की स्वीकृति हेतु विवेकाधीन प्रशासनिक शक्तियाँ |
26 |
ए-1 (ए) |
विभिन्न प्रकार के खातों/सुविधाओं में दावों का निपटान |
27 |
ए -2 |
दस्तावेजों की जाँच सूची |
30 |
ए -3 |
मृतक दावा हेतु आवेदन (जब खाते में नामांकन या उत्तरजीवी खंड के साथ संयुक्त खाता हो तभी प्रयोग किया जाए) फॉर्म.352 – संशोधित फॉर्म नं. 352 डी |
31 |
ए -4 |
मृतक दावा हेतु आवेदन (नामांकन/उत्तरजीवी खंड के साथ संयुक्त खाता के अलावा अन्य मामलों में प्रयोग किया जाए) फॉर्म नं. 33 ए प्रारंभिक सीमाओं तक |
33 |
ए -5 |
शपथ पत्र सह क्षतिपूर्ति पत्र |
35 |
ए -6 |
रसीद |
37 |
ए -7 |
बैंकिंग कंपनी से किराए पर लिए गए सेफ्टी लॉकर की सामग्री की वस्तुसूची का फॉर्म (नामांकन के साथ) फॉर्म नं. 352 एसएल 1 |
38 |
ए-7 (ए) |
बैंकिंग कंपनी से किराए पर लिए गए सेफ्टी लॉकर की सामग्री की वस्तुसूची का फॉर्म (नामांकन के बिना) फॉर्म नं. 352 एसएल 2 |
40 |
ए -8 |
बैंकिंग कंपनी के पास सेफ्टी लॉकर में छोड़ी गई सामग्री की वस्तुसूची (नामांकन के साथ) फॉर्म नं. 352 एससी 1 |
42 |
ए-8 (ए) |
बैंकिंग कंपनी के पास सेफ्टी लॉकर में छोड़ी गई सामग्री की वस्तुसूची (नामांकन के बिना) फॉर्म नं. 352 एससी 2 |
44 |
ए -9 |
विभिन्न स्वीय विधि के अंतर्गत कानूनी वारिस |
45 |
ए -10 |
क्षतिपूर्ति पत्र – गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान |
47 |
अध्याय 1 – परिचय
मृतक के कानूनी वारिस द्वारा दावे के निपटान में देरी और बैंक के घटकों द्वारा आश्रित कानूनी वारिसो को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। कानूनी वारिसों द्वारा किए गए दावे जमा राशियों, सेफ़ कस्टडी में रखी वस्तुओं या लॉकर की सामग्री के संबंध में हो सकते है। सामान्य जनता द्वारा उठाई जा रही कठिनाईयों को दूर करने को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक की लोक सेवाओं पर प्रक्रिया तथा प्रदर्शन लेखा परीक्षा समिति (सीपीपीएपीएस) ने परामर्श दिया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक इस संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश जारी करें और भारतीय बैंक संघ को इसका प्रारूप बनाने तथा एक व्यापक मानक परिचालन प्रक्रिया परिचालित करने के लिए कहा जाए, जिसका उपयोग बैंक मृतक जमाकर्ता और सेफ़ कस्टडी वस्तुओं के दावा निपटान हेतु कर सकते हैं।
मृतक दावों के मामले में कानूनी स्थिति काफी स्पष्ट है। नामांकन या संयुक्त खाते के संबंध में स्पष्ट अधिदेश या मृतक जमाकर्ता द्वारा पीछे छोड़ी वसियत की अनुपस्थिति में बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि व्यक्ति की मृत्यु के समय मृतक के सभी कानूनी वारिसों को स्टाक (बकाया शेष) का भुगतान किया जाए। इसमें शामिल जोख़िम को ध्यान में रखते हुए, दावा निपटान के लिए बैंक पारंपरागत तौर पर विधिक अभ्यावेदन (उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, प्रशासनिक पत्र या प्रोबेट आदि के रूप में) की माँग करता है। संयुक्त खातों में परिचालन अधिदेश प्राप्त करना मृतक खातों में दावों का निपटान करने में आनेवाली कठिनाईयों से उबरने के लिए बैंकिंग प्रैक्टिस के रूप में सामने आई है। तदनंतर, बैंक जमा, सेफ़ डिपॉजिट लॉकर और सेफ़ कस्टडी वस्तुओं में नामांकन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थिति में 1985 में संशोधन किया गया था। तथापि, चूँकि नामांकन सुविधा जमाकर्ता के विवेक पर निर्भर करती है, मृतक दावों के निपटान में समस्याएँ और कठिनाईयाँ बनी हुई हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 9 जून, 2005 के अपने परिपत्र सं. डीबीओडी.नं.लेग.बीसी.95/09.7.005/2004-05 द्वारा मृतक जमाकर्ताओं के संबंध में दावों के निपटान की प्रक्रिया को सरलीकृत करने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया था। सीपीपीएपीएस ने लॉकर के सरल परिचालन के लिए भी सिफारिशें दी थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इन सिफारिशों पर विचार करते हुए सुरक्षित जमा लॉकर तथा सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के संबंध में जमाकर्ता(ओं) की मृत्यु होने पर सुरक्षित जमा लॉकर तथा सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के दावों के निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए दिनांक 17 अप्रैल, 2007 के परिपत्र सं. डीबीओडी.नं.लेग.बीसी.78/09.07.005/2006-07 द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 2 मई, 2008 के अपने परिपत्र सं. डीबीओडी.नं.लेग.बीसी.80/09.07.005/2007-08 द्वारा गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों हेतु दिशा-निर्देश जारी किया गया है। परिपत्र में मृतक मान लेने के संबंध में कानूनी स्थिति स्पष्ट की गई है। बैंकों को परामर्श दिए गए हैं कि गुमशुदा व्यक्तियों के मामले में दावों का निपटान कानूनी सलाह पर विचार और प्रत्येक मामलें में परिस्थितियों और तथ्यों को ध्यान में रखने के पश्चात ही किया जाए। गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान करने हेतु अनुसरण की जानेवाली प्रक्रिया को प्रक्रिया के भाग IV में शामिल किया गया है।
फरवरी 2006 में, भारतीय बैंक संघ द्वारा मृतक जमा खातों में दावों के निपटान के बारें में मानक परिचालन प्रक्रिया को परिचालित किया गया था। इस संशोधित मानक परिचालन प्रक्रिया में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बाद में सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं की सुविधा के दावों के निपटान पर जारी दिशा-निर्देशों को भी शामिल किया गया है। यह मानक परिचालन प्रक्रिया उन जमा खातों में मृतक दावों पर लागू होगी जो प्रारंभिक सीमा (बैंक अपनी जोख़िम प्रबंधन नीति को ध्यान में रखते हुए प्रारंभिक सीमा का निर्धारण करेंगी) के अंतर्गत आते होंगे।
प्रारंभिक सीमा के अंदर मृतक दावों को मृतक जमाकर्ता(ओं) द्वारा दिए गए नामांकन या अधिदेश की अनुपस्थिति में बिना किसी कानूनी अभ्यावेदन के मृतक के कानूनी वारिसों द्वारा क्षतिपूर्ति दिए जाने पर निपटाया जा सकता है।
मृतक के सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के मूल्य से अनभिज्ञ होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए आलेखन समिति निपटान के लिए बिना कानूनी अभ्यावेदन के इस तरह की समान प्रारंभिक जोख़िम सीमा निर्धारित नहीं कर सकती। यह आशा की गई है कि ऐसे मामलों में बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिकल्पित ग्राहक हितैषी दृष्टिकोण अपनाएंगे।
भाग -2 नामांकन सुविधा/उत्तरजीविता अधिदेश के लाभ पर ग्राहकों को मार्गदर्शन
नामांकन सुविधा
- नामांकन सुविधा – खाता धारक की मृत्यु के मामले में दावों के निपटान के लिए सामान्य जनता की कठिनाईयों को कम करने के लिए एक आदर्श साधन है।
- नामांकन सुविधा मृतक जमाकर्ताओं के दावों के निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाता है क्योंकि बैंक को जमाकर्ता के खाते में उसकी मृत्यु के समय बकाया शेष का भुगतान करने या लॉकर की सामग्री या सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं को नामित को देने के लिए एक वैध डिस्चार्ज मिल जाता है।
- बैंक ग्राहकों के लिए नामांकन वैकल्पिक है। इसलिए यह जरूरी है कि नामांकन सुविधा को लोकप्रिय बनाया जाए और जमा खाता खोलते समय या लॉकर लेने के दौरान ग्राहकों को इसके फायदे से अवगत कराया जाए।
- बैंक खाता धारक को नामांकन की स्वैच्छिक सुविधा के रूप में उपलब्ध होने से अवगत कराएं और उसके द्वारा इस विकल्प के उपयोग की सिफारिश करें। नामांकन सुविधा, यदि उपयोग की जाती है, तो नामित को दावे का सुगम निपटान सुनिश्चित किया जाए।
- जमाकर्ता(ओं) को यह भी स्पष्ट किया जाए कि नामांकन की शुरुआत केवल मृतक जमाकर्ताओं के दावों की निपटान प्रक्रिया को सरलीकृत करने के उद्देश्य से की गई है और नामांकन सुविधा मृतक की संपत्ति पर से उसके कानूनी वारिसों के अधिकार को नहीं छिनती है। नामित बैंक से कानूनी वारिसों के ट्रस्टी के रूप में स्टॉक प्राप्त करेगा।
उत्तरजीविता
- यदि सह-खाताधारकों में से एक की मृत्यु हो जाती है, तो “दोनों में से कोई एक या उत्तरजीवी” या “कोई भी या उत्तरजीवी” या “पूर्ववर्ती या उत्तरजीवी व्यक्ति” या “लेटर या उत्तरजीवी” के रूप में खोले गए संयुक्त खाते में जमा शेष के आहरण के लिए उत्तरजीवी खाता धारक(कों) को अनुमति होगी।
- यदि उत्तरजीविता अधिदेश दिया गया है, तो “दो में से कोई एक या उत्तरजीवी” या “कोई भी या उत्तरजीवी” या “पूर्ववर्ती या उत्तरजीवी व्यक्ति” या “लेटर या उत्तरजीवी” के मामले में उत्तरजीवी, बैंक को वैध डिस्चार्ज दे सकते हैं।
- संक्षिप्त में, सामान्य हालात में उत्तरजीवी(यों) को भुगतान किया जा सकता है बशर्ते यदि किसी सक्षम न्यायालय से ऐसे भुगतान के लिए बैंक को प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।
ग्राहक मार्गदर्शन और प्रचार
मृतक जमाकर्ताओं के दावों के निपटान हेतु इस मानक परिचालन प्रक्रिया (एमओपी) का परामर्श मृतक खातों में दावों के निपटान में सामान्य व्यक्तियों को होने वाली कठिनाईयों को दूर करने को ध्यान में रखते हुए दिया गया था। इस दस्तावेज का लक्ष्य जमाकर्ताओं के बीच बैंक द्वारा दी जा रही “नामांकन” सुविधा का लाभ लेने या संयुक्त नामों पर खोले जानेवाले खातों में “दोनों में से कोई एक या उत्तरजीवी” आदि अधिदेश देने का उपयोग करके होने वाले लाभ के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
बैंक मृतक जमाकर्ताओं के दावों के निपटान हेतु परिचालन प्रक्रिया के विवरण को शामिल करते हुए अन्य प्रचार सामग्री के साथ जमाकर्ताओं के बीच वितरण हेतु पैम्पलेट ला सकते हैं।
बैंक विस्तृत प्रचार और नामांकन सुविधा और उत्तरजीविता खंड के लाभ पर जमा खाता धारकों को मार्गदर्शन उपलब्ध करा सकते हैं। प्रचार सामग्री में प्रकाश डाला जाना चाहिए कि संयुक्त खाता धारकों में से किसी एक की मृत्यु के मामले में, जमा राशि पर उत्तरजीवी संयुक्त खाता धारक/कों का स्वतः अधिकार नहीं होता है, जब तक कि उत्तरजीविता खंड नहीं है।
भाग 3 – विभिन्न प्रकार के खातों/सुविधाओं में दावा निपटान
सभी खातों में एकीकृत्र बकाया शेष प्रारंभिक सीमा तक अर्थात् रू. 2 लाख (दो लाख) तक, लॉकर में रखी सामग्री/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं का मूल्य रू. 2 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए।
नामांकन सहित या रहित एकल खाता
बचत खाता /चालू खाता
नामांकन सहित
बकाया शेष का भुगतान नामित व्यक्ति की पहचान (जैसे मतदाता पहचान कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार पत्र आदि) और जमाकर्ता के मृत्यु प्रमाणपत्र के सत्यापन के बाद किया जाएगा।
परिपक्वता पूर्व सावधि जमा खातों की समाप्ति
नामांकन सहित
नामित व्यक्ति के अनुरोध पर उसकी पहचान (जैसे मतदाता पहचान कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार पत्र आदि) और जमाकर्ता के मृत्यु साक्ष्य का सत्यापन करने के बाद सावधि जमा खाते के परिपक्वता पूर्व समाप्ति को संविदा के नियमों के अनुसार स्वीकृत किया जा सकता है।
नामांकन रहित:
परिपक्वता पूर्व समाप्ति को सभी कानूनी वारिसों (या सभी कानूनी वारिसों द्वारा उनमें से किसी एक को अधिदेश दिया हो) से संयुक्त अनुरोध प्राप्त होने पर कानूनी वारिसों के प्राधिकार और जमाकर्ता के मृत्यु प्रमाणपत्र के सत्यापन के बाद संविदा के नियमों के अनुसार स्वीकृत किया जा सकता है।.
सुरक्षित जमा लॉकर
नामांकन सहित
नामित को लॉकर को देखने और उसमें रखी सामग्री को हटाने के लिए उसकी पहचान (जैसे मतदाता पहचान कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार पत्र आदि) और लॉकर किराएदार की मृत्यु साक्ष्य का सत्यापन के बाद अनुमति दी जा सकती है। सुरक्षित जमा लॉकर से सामग्री को हटाने के लिए नामित को स्वीकृति देने से पहले, बैंक नामित और दो स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में रखी गई वस्तुओं की सूची तैयार करेगा। वस्तुसूची के लिए फॉर्म अनुबंध – 7 में संलग्न है।
नामांकन रहित
कानूनी वारिस(सों) को मृतक लॉकर किराएदार या कानूनी वारिस(सों) द्वारा अधिदेश किए गए व्यक्ति को लॉकर देखने और उसमें रखी सामग्री को हटाने के लिए अनुमति लॉकर किराएदार की मृत्यु के साक्ष्य के सत्यापन के बाद दी जाएगी। कानूनी वारिस(सों) को अपनी पहचान स्थापित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। सुरक्षित जमा लॉकर से सामग्री को हटाने के लिए कानूनी वारिस(सों) को स्वीकृति देने से पहले, बैंक कानूनी वारिस(सों)/अधिदेशधारक और दो स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में रखी गई वस्तुओं की सूची तैयार करेगा। वस्तुसूची के लिए फॉर्म अनुबंध – 7 (ए) संलग्न है।
दावाकर्ताओं द्वारा भरे जानेवाले प्रारूप डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें।