हमारे पास उनका उत्तर है.
अनिवासी भारतीय (एनआरआई) का अर्थ है ‘भारत से बाहर रहने वाला व्यक्ति’ जो भारत का नागरिक है या ‘भारतीय मूल का व्यक्ति’ है।
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) के अंतर्गत, अधिनियम की धारा 2 (v) में ‘भारत का निवासी व्यक्ति’ के रूप में परिभाषित व्यक्ति को भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति’ के रूप में नहीं माना जाएगा। परिभाषा में सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन (फेरा 1973 से) यह है कि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर उसकी निवास स्थिति के लिए विचार हेतु नहीं माना जाएगा।
'भारतीय मूल का व्यक्ति' बांगलादेश या पाकिस्तान के अलावा किसी अन्य देशा का नागरिक हो सकता है, यदि
'ओवरसिज़ कॉर्पोरेट बॉडी' का अर्थ है एक ऐसी कंपनी, भागीदारी फर्म, सोसाइटी और अन्य कार्पोरेट बॉडी से है जिसमें कम से कम साठ प्रतिशन तक की सीमा तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वामित्व अनिवासी भारतीयों का हो और इसमें ओवरसिज़ ट्रस्ट भी शामिल होंगी जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से साठ प्रतिशत तक का लाभ हित अनिवासी भारतीयों के पास हो।
एनआरआई किसी भी डिपॉजिटरी प्रतिभागी के साथ डिमैट खाता खोल सकते है। एनआरआई को डिपॉजिटरी प्रतिभागी से प्राप्त खाता खोलने के फॉर्म में प्रकार (‘निवासी’ की तुलना में ‘एनआरआई’) और उप-प्रकार (‘स्वदेश प्रत्यावर्तन’ या ‘गैर – स्वदेश प्रत्यावर्तन’) का उल्लेख करना आवश्यक होगा।
डिमैट खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। डिमैट में प्रतिभूतियों की धारिता के लिए केवल फॉर्म में परिवर्तन करने की आवश्यकता है और इसके लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
कोई विशेष अमुमति की आवश्यकता नहीं है। डिमैट में प्रतिभूतियों की धारिता के लिए केवल फॉर्म में परिवर्तन करने की आवश्यकता है और इसके लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है। प्रतिभूतियों की प्राप्ति के समय ली गई अनुमति (जहाँ आवश्यकता हो) वह पर्याप्त है।
नहीं. एनआरआई को स्वदेश प्रत्यावर्तन और गैर- स्वदेश प्रत्यावर्तन प्रतिभूतियों को रखने के लिए अलग-अलग डिमैट खाते खोलने होंगे।
फेमा नियमों के अनुसार, धारिताओं को नियमित करने के लिए एनआरआई को अपने निवास की स्थिति में हुए परिवर्तन को - ‘अनिवासी’ स्थिति में प्रदर्शित करना होगा। इसके लिए, एनआरआई को (यदि पूर्व में जारीकर्ता कंपनी को पहले से प्रस्तुत नहीं किया है, तो) जारीकर्ता कंपनी को स्थिति में परिवर्तन और विदेश में पते का विवरण देते हुए डिमैट अनुरोध फॉर्म के साथ प्रस्तुत करना
एनआरआई हो जाने पर, उचित एनआरआई स्टेट्स के साथ एक नया डिपॉजिटरी खाता खुलवाना होगा और ‘निवासी’ स्टेट्स के दौरान धारित अधिशेष को एनआरआई स्टेट्स के साथ खोले गए खाते में अंतरित किया जाए और इस खाते में रखी गई प्रतिभूतियों को गैर – स्वदेशी प्रत्यावर्तन आधार पर मान्य किया जाएगा।
भारत का निवासी होने बन जाने पर, उचित ‘निवासी’ स्टेट्स के साथ एक नया डिपॉजिटरी खाता खुलवाना होगा और ‘अनिवासी’ स्टेट्स के दौरान धारित अधिशेष को निवासी स्टेट्स के साथ खोले गए खाते में अंतरित किया जाए।
जारीकर्ता कंपनी को भारत सरकार/भारतीय रिज़र्व बैंक की विनिर्दिष्ट या सामान्य अनुमति के आधार पर एनआरआई को शेयर जारी करने होंगे। अतः एनआरआई व्यक्ति को किसी प्रकार की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।
सेकेंडरी बाज़ार में की गई खरीद पोर्टफोलियो निवेश योजना के अंतर्गत निवेश माना जाएगा। बाज़ार में पोर्टफोलियो निवेश योजना के अंतर्गत स्वदेश प्रत्यावर्तन/गैर – स्वदेश प्रत्यावर्तन आधार पर खरीद की अनुमति प्राधिकृत डिलर द्वारा दी जाती है। उक्त अनुमति एकबारगी सामान्य अनुमति होगी।
नहीं.
हाँ.
हाँ. धारिताओं के स्वामित्व का आकलन करने के लिए प्रथम खाता धारको को आधार बनाया जाएगा। अतः भले ही अन्य संयुक्त धारक भारत के निवासी हो, यदि प्रथम धारक को निधियों के स्वदेश प्रत्यावर्तन की अनुमति हो, तो ऐसी प्रतिभूतियों की खरीद का वापस किया जा सकता
एनआरआई से एनआरआई को – कोई अनुमति नहीं, निवासी व्यक्ति से – कोई अनुमति नहीं, भारत के बाहर से भारत में रहने वाले व्यक्ति को (उपहार) निवासी व्यक्ति से – भारतीय रिज़र्व बैंक भारत को आवेदन भारत से बाहर के हस्तांतरणकर्ता द्वारा निवासी व्यक्ति को (उपहार) निवासी व्यक्ति से – निवासी व्यक्ति के लिए भारत सरकार से अनुमोदन और फिर भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि भारत से बाहर अधिग्रहण (बिक्री) स्वदेश प्रत्यावर्तन आधार पर है। लेकिन यदि अधिग्रहण गैर – स्वदेश प्रत्यावर्तन आधार पर है, तो केवल निवासी व्यक्ति से अनुमोदन – भारत से बाहर व्यक्ति को फॉर्म टीएस 1 के माध्यम से भारत के निवासी व्यक्ति को (बिक्री).