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कार्पोरेट्स बैंक ऑफ़ बड़ौदा से ऋण ले सकते हैं. भारतीय कार्पोरेट/फर्म, बैंक/भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार कुछ चयनित शाखाओं पर विदेशी मुद्रा ऋणों के माध्यम से निधि प्राप्त कर सकते हैं.
एफसीएनआर(बी) ऋण कार्पोरेट के लिए निम्न कारणों से लाभप्रद हैं :
कार्पोरेट को भारत में विदेशी मुद्रा ऋण प्राप्त करने की अनुमति उपर्युक्त योजनाओं के अंतर्गत निम्नलिखित उद्देश्य के लिए दी जाती हैः
ऋण के विभिन्न उद्देश्यों के लिए मौजूदा दिशानिर्देश निम्नानुसार है:
ऋण की स्वीकृति कार्यशील पूंजी/अधिकतम स्वीकार्य बैंक वित्त (एमपीबीएफ) के उचित मूल्यांकन के बाद की जाएगी. उधारकर्ता को विनियम जोखिम से बचने के लिए स्वाभाविक बचाव व्यवस्था स्वतः ही करनी होगी जिसका वहन उसके द्वारा किया जाएगा. उधारकर्ता जिनके पास स्वाभाविक बचाव व्यवस्था नहीं है उन्हें विनियम जोखिम से बचने के लिए वायदा कवर लेना चाहिए. उधारकर्ता जिनके पास सुदृढ़ वित्तीय शक्ति , ऊंची रेटिंग जैसे ए+/ए है और उनके पास स्वाभाविक बचाव कवर नहीं है तो उन पर विचार किया जा सकता है.
ऋण एमपीबीएफ सीमा का 90% तक संवितरित किया जा सकता है
जहां उधारकर्ता बैंक क्रेडिट की डिलीवरी के लिए ऋण सिस्टम के अंतर्गत कवर है, वहां एमपीबीएफ सीमा के विदेशी मुद्रा ऋण, रुपए में ऋण घटक, कैश क्रेडिट घटक और बिल सीमा में वर्गीकरण भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश के अनुरुप होना चाहिए.
विदेशी मुद्रा ऋण राशि को ऋण घटक का भाग माना जाएगा बशर्ते ऋण अवधि न्यूनतम -6- माह तक हो.
विदेशी मुद्रा ऋण -4- मुद्राओं जैसे यूएस$, स्टरलिंग, यूरो और जापान की येन में वितरित की जाएगी.
ऋण की न्यूनतम राशियूएस $, जीबीपी, यूरो: 100,000, जापान की येन 10 मिलियन .
विदेशी मुद्रा में निर्यातकों को पोतलदान पूर्व ऋण (पीसीएफसी)/विदेशी मुद्रा में पोतलदानोत्तर ऋण.
निर्यातक इस सुविधा का लाभ विदेशी मुद्रा में पोतलदान पूर्व ऋण और साथ ही साथ पोतलदानोत्तर ऋण के द्वारा ले सकता है. इस प्रकार रुपया अग्रिमों पर लागू सभी शर्तें विदेशी मुद्रा अग्रिमों पर भी लागू होंगी.
आयातक उनको स्वीकृत रुपया एमपीबीएफ के बदले कच्चे माल के आयात के लिए विदेशी मुद्रा ऋण का लाभ ले सकते हैं. विदेशी मुद्रा ऋण राशि के समतुल्य रुपए को समग्र एमपीबीएफ सीमा में चिन्ह्ति करना होगा. इस ऋण का भी विदेशी मुद्रा में पुर्नभुगतान किया जा सकता है.
पूंजीगत माल का निर्यातक अधिस्थगन अवधि सहित -3-वर्षों से अनधिक अवधि के लिए विदेशी मुद्रा ऋण ले सकता है. सामान्यतः पूंजीगत माल का आयात 180 दिनों की मियादी सीमा में होनी चाहिए.
कार्पोरेट अपने पूंजी खर्च/परियोजना विस्तार योजनाओं आदि हेतु स्वदेशी मशीनों की खरीद के लिए विदेशी मुद्रा ऋण प्राप्त कर सकते हैं.
विदेशी मुद्रा ऋण का उपयोग मौजूदा रुपया अवधिक ऋण के पुर्नभुगतान के लिए किया जा सकता है बशर्ते विदेशी मुद्रा ऋण की अवधि मौजूदा रुपया ऋण के भाग से अधिक न हो और जो अवधिगत अथवा -3- वर्ष का न हुआ हो.
ईसीबी के पुर्नभुगतान के लिए लागू दिशानिर्देशों के अनुसार भारत सरकार/भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है. कार्पोरेट भारतीय रिज़र्व बैंक/भारत सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एफसीएनआर(बी) ऋण प्राप्त कर सकते हैं.